बगलामुखी: महत्व, प्रयोग, दरबार, अनुष्ठान, पूजा।
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1. माँ बगलामुखी कौन है?
मां बगलामुखी आठवीं महाविद्या हैं। इनका प्रकाट्य स्थल गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में माना जाता है। हल्दी रंग के जल से इनका प्रकट होना बताया जाता है। हल्दी का रंग पीला होने से इन्हें पीताम्बरा देवी भी कहते हैं। इनके कई स्वरूप हैं। इस महाविद्या की उपासना रात्रि काल में करने से विशेष सिद्धि की प्राप्ति होती है। इनके भैरव महाकाल हैं।
मां स्तंभव शक्ति की अधिष्ठात्री हैं अर्थात यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनके बुरी शक्तियों का नाश करती हैं। मां का एक नाम पीताम्बरा भी है इन्हें पीला रंग अति प्रिय है इसलिए इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज्यादा होता है। देवी का रंग स्वर्ण के समान पीला होता है अत: साधक को माता की आराधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करना चाहिए।
2. मां का चमत्कारी दरबार कहां है?
माँ बगलामुखी चमत्कारी दरबार यह स्थान (मां बगलामुखी शक्ति पीठ) नलखेड़ा में नदी के किनारे स्थित है। यहां मां बगलामुखी की स्वयंभू प्रतिमा है। यह शमशान क्षेत्र में स्थित हैं। कहा जाता है कि इसकी स्थापना महाभारत युद्ध के 12 वें दिन स्वयं धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण के निर्देशानुसार की थी। देवी बगलामुखी तंत्र की देवी है।
3. माँ का मुख्य पीठ कहा है?
माँ बगलामुखी का पूरे विश्व मे सबसे मुख्य पीठ नलखेड़ा जिला आगर मालवा में, प्राचीन तंत्र ग्रंथों में दस महाविद्याओं का उल्लेख मिलता है। उनमें से एक है । मां भगवती बगलामुखी का महत्व समस्त देवियों में सबसे विशिष्ट है।
इनके पूरे विश्व मे बगलामुखी का 3 पीठ है, नलखेड़ा, दतिया (मध्यप्रदेश), कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) है; जिसमे से नलखेड़ा का पीठ सबसे महत्वपूर्ण है, मंदिर के चारो ओर शमशान होने की वजह से मंदिर में तंत्र पूजाओं का फल ज्यादा मिलता है।
4. माता बगलामुखी नलखेड़ा का क्या महत्व है?
माता का यह मंदिर मध्यप्रदेश के नलखेड़ा में स्थित है। यहां विराजित तीन मुखों वाली त्रिशक्ति देवी को महारूद की महाशक्ति के रूप में पूजा जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर में स्थापित मां की मुर्ति स्वयं प्रकट हुई थी। इस मंदिर में के साथ हनुमान, कृष्ण, मां लक्ष्मी, मां सरस्वती और भैरव भी विराजमान हैं। देशभर से लोग यहां तंत्र साधना के लिए आते हैं।
मान्यता के अनुसार करीब दस पीढ़ियों से पूजारी यहां तंत्र साधना करवाते आ रहे हैं। माता को तंत्र की देवी माना जाता है। कुछ लोगों का मानना है कि इस मंदिर की स्थापना श्री कृष्ण ने महाभारत में जीत के लिए युधिष्ठिर से करवाई थी। इस मंदिर की खास बात यह है कि देशभर में यही एक एसा मंदिर है यहां बिल्वपत्र, आंवला, चंपा, नीम के पेड़ एक साथ है।
एक और चौंकाने वाली बात ये है कि इस मंदिर के आस-पास शमशान घाट स्थित हैं। जिसके कारण यहां कम ही लोग आते-जाते हैं। लेकिन तंत्र साधना के लिए ज्यादातर लोग इसी जगह आते हैं।
5. पौराणिक कथाओं में मां बगलामुखी का महत्व:
इस पूरी सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा का ग्रंथ जब एक राक्षस ने चुरा लिया और पाताल में छिप गया तब उसके वध के लिए मां की उत्पत्ति हुई। पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान मां का मंदिर बनाया और पूजा अर्चना की। पहले रावण और उसके बाद लंका पर जीत के लिए श्रीराम ने शत्रुनाशिनी मां बगला की पूजा की और वियज पाई।
मां को पीतांबरी भी कहा जाता है। इस कारण मां के वस्त्र, प्रसाद, मौली और आसन से लेकर हर कुछ पीला ही होता है। मान्यता है कि युद्ध हो या राजनीति या फिर कोर्ट-कचहरी के विवाद, मां के मंदिर में यज्ञ कर हर कोई मन वांछित फल पाता है।
6. क्यों करते है माँ बगलामुखी की पूजा?
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, माता की अराधना करने से सभी तरह की बाधा और संकट दूर हो जाता है। इसके साथ ही शुत्रओं पर भी विजय मिलती है।
माता की उपासना शत्रुनाश, वाक-सिद्धि,व्यापार वृद्धि, धन प्राप्ति, मनिच्छित विवाह, शीघ्र विवाह, उच्चाटन, विद्वेषण, सम्मोहन, वशीकरण, रोगनाश , तंत्र से मुक्ति, वाद-विवाद में विजय के लिए की जाती है। यही कारण है कि माता को सत्ता की देवी भी कहा जाता है।
7. बगलामुखी अनुष्ठान के फायदे क्या है?
माता बगलामुखी की साधना उपासना करने से विरोधी हमारे सामने टिक नहीं पाते हैं। साथ ही, विजय के रास्ते खुलते चले जाते हैं। इनकी उपासना से जीवन खुशमय और खुशहाल हो जाता है।
यदि किसी व्यक्ति को अपने जीवन में लम्बे समय से कोई कष्ट या चिंता हैं तो वह बगलामुखी माता अनुष्ठान से लाभ प्राप्त कर सकता है। जो भी व्यक्ति माता की साधना करता है वो सभी दुखो से दूर हो जाता है और सर्व शक्ति संपन्न हो जाता है।
8. माँ बगलामुखी वशीकरण पूजन प्रयोग कैसे होता है?
बगलामुखी वशीकरण मंत्रः ओम बगलामुखी सर्व स्त्री/पुरुष हृदयं मम् वश्यं कुरु एं ह्रीं स्वाहा। इस मंत्र में सर्व के स्थान पर वशीकरण किए जाने व्यक्ति का नाम लेना चाहिए तथा स्त्री द्वारा पुरुष के वशीकरण करने की स्थिति में मंत्र के स्त्री शब्द के बदले में पुरुष का उच्चारण करना चाहिए।
इसकी साधन सच्चे मन से ब्रह्मचर्य का पालन करने हुए पूरे विधि-विधान के साथ कर देवी से निम्न मंत्र के द्वारा क्षमा प्रार्थना भी करना चाहिए।