भारत में मां बगलामुखी के तीन ही प्रमुख ऐतिहासिक मंदिर माने गए हैं जो क्रमश: नलखेड़ा, जिला शाजापुर आगर मालवा (मध्यप्रदेश), कांगड़ा (हिमाचल) तथा दतिया (मध्यप्रदेश) में हैं। तीनों का अपना अलग-अलग महत्व है। यहां देशभर से शैव और शाक्त मार्गी साधु-संत तांत्रिक अनुष्ठान के लिए आते रहते हैं।
नलखेड़ा सबसे श्रेष्ठ व उच्च स्थान माना गया है, यहाँ प्रतिदिन मनुष्य अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए देवी मां बगलामुखी की तंत्र पूजा अनुष्ठान हवन यज्ञ तांत्रिक क्रिया करवाते है, इस स्थान पर किया कर्म आपके सभी दुःखो का नाश कर देता है
महाभारत के युद्ध में श्रीकृष्ण की प्रेरणा पर अर्जुन ने कई जगह जाकर शक्ति की साधना की थी। उनकी साधना के वरदान स्वरूप शक्ति के विभिन्न रूपों ने पांडवों की मदद की थी। उन्हीं शक्ति में से एक माता बगलामुखी भी साधना भी की थी। कहते हैं कि युद्ध में विजय की कामना से अर्जुन और श्रीकृष्ण ने उज्जैन में हरसिद्ध माता और नलखेड़ा में बगलामुखी माता का पूजन भी किया था। वहां उन्हें युद्ध में विजयी भव का वरदान मिला था।